सफलता की कहानी गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भरता की ओर किसान करुणा सागर पटेल
गुड न्यूज छत्तीसगढ़।सारंगढ़
सारंगढ़-बिलाईगढ़/ जिले के विकासखंड बरमकेला के ग्राम पंचायत बाँजीपली के किसान करुणा सागर पटेल ने अपने मेहनत और सूझबूझ से खेती में एक नई सफलता की कहानी लिखी है। करुणा सागर, जो पहले रायगढ़ के जिंदल कम्पनी में काम करते थे, ने जब महसूस किया कि उनका मन वहां के काम में नहीं लग रहा, तो उन्होंने अपनी मिट्टी की ओर लौटने का निर्णय लिया। यह निर्णय उनकी जिंदगी में बदलाव का एक अहम मोड़ साबित हुआ।
*पारंपरिक खेती से आधुनिक खेती की ओर*
करुणा सागर ने शुरुआत में अपने खेत में पारंपरिक फसलें, जैसे उड़द और मूंग, उगाई। हालांकि, उन्हें इनसे बहुत कम मुनाफा होता था। पारंपरिक खेती से होने वाले सीमित लाभ ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि कैसे अपनी आय बढ़ाई जाए। इस साल उन्होंने एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए गेंदा के फूल की खेती करने का निर्णय लिया। उन्होंने रायपुर से गेंदा फूल के पौधे लाए और अपने 1 एकड़ टिकरा जमीन पर ड्रिप स्प्रिंकलर सिचाई के माध्यम से खेती शुरू की।
*मेहनत का फल*
गेंदे की खेती में करुणा सागर को उम्मीद से भी अधिक सफलता मिली। मात्र 90 दिनों में उन्होंने अपनी फसल तैयार की और बाजार में लगभग 1 लाख रुपये से अधिक के फूल बेचने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि यह पहली बार है जब उन्होंने इस प्रकार की खेती की है, और परिणाम देखकर वे बेहद खुश हैं। यह उनके लिए केवल आर्थिक लाभ का स्रोत नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
*खेती का भविष्य*
करुणा सागर का कहना है कि गेंदे की खेती ने उनकी जिंदगी बदल दी है। अब वे इस खेती को हर साल करने की योजना बना रहे हैं और इसे और अधिक विस्तारित करना चाहते हैं। उनका लक्ष्य है कि वे अपनी फसल को और भी बेहतर बनाएं और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।
*प्रेरणा की कहानी*
करुणा सागर पटेल का सफर उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो पारंपरिक खेती में सीमित आय से जूझ रहे हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि मेहनत, दृढ़ संकल्प और नए प्रयोगों के साथ खेती में भी बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। करुणा सागर न केवल अपनी मेहनत से आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं, बल्कि उन्होंने अपने गांव में आधुनिक खेती की एक नई मिसाल भी पेश की है। करुणा सागर पटेल ने सभी किसानों को संदेश दिया है कि किसान अगर अपनी सोच और मेहनत से खेती करें, तो कोई भी चुनौती उनकी सफलता के रास्ते में नहीं आ सकती।
*किसान का व्यावसायिक सफर*
सिर्फ दो महीने में गेंदे फूल की उत्पादन हो जाता है। ऐसे में विकासखंड बरमकेला के लघु श्रेणी के किसान फूलों की खेती पर ध्यान दे रहे है। किसान करुणा सागर पटेल ने जानकारी दी कि टिकरा खेतों में सिर्फ मूंग उडद उगाने से कोई खास कमाई नहीं होता था। बमुश्किल से 10 हजार रुपए का होता है। ऐसे में गेंदे फूलों की खेती के बारे में सुना था और इसके बारे में जानकारी ली। पहली बार गांव में गेंदे फूलों की खेती की शुरुआत किया है। इसके लिए गेंदे की थरहा पौधा को रायपुर से मंगाया। एक एकड़ में 27 हजार रुपए की 6000 नग पौधा लगा
हुआ है। जिसमें 20 हजार रुपए की मेहनत मजदूरी में व्यय अलग से हुआ है। सिर्फ दो महीने में गेंदे की फूलों की उत्पादन आ गया है। किसान करुणा सागर पटेल की माने तो गेंदे की फूलों की खेती में पानी की सिंचाई बहुत कम में हो जा रहा है और इसके उसने ड्रीप सिस्टम से गेंदे के पौधों को पानी दिया जाता है। जबकि धान व अन्य फसलों में पानी की खपत अधिक था और लागत खर्च ज्यादा भी। अब गेंदे की खेती से अच्छी आमदनी मिलने की उम्मीद है। गेंदे की खेती में दो लाख की कमाई हो जाता है। वैसे तो गेंदे की खेती ग्राम बरगांव के 30 फीसदी आबादी में किया जा रहा है किंतु काफी कम रकबे पर होता है, जबकि ग्राम बांजीपाली में बड़े एरिया में गेंदे की खेती की गई है।
*तोडाई के एक सप्ताह बाद दो गुना फूल आते है*
युवा किसान करुणा सागर पटेल का कहना है कि गेंदे की खेती में महज दो महीने में उत्पादन आ जाता है। वही गेंदे फूलों की पहली तोडाई 20 किग्रा, एक सप्ताह बाद 80 किग्रा और एक सप्ताह बाद डेढ किंटल हुआ है। यानि फूलों की तोड़ाई करने के बाद पौधों में पुनः फूल आ जाता है। गेंदे फूलों की व्यापारी ओडिशा के बरगढ़ और रायगढ़ जिले से आ रहे है। बाजार में गेंदे फूलों की कीमत प्रति किग्रा 50 से 70 रुपए तक है। पीले गेंदे फूलों की मांग ज्यादा है। वही नारंगी गेंदे फूलों की मांग कम है।
0 Response to "सफलता की कहानी गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भरता की ओर किसान करुणा सागर पटेल"
Post a Comment