धान के फसल में रोग से बचाव के लिए कृषि सलाह
गुड न्यूज छत्तीसगढ़।सारंगढ़
सारंगढ़-बिलाईगढ़/खरीफ के धान की फसल में विभिन्न प्रकार के कीट एवं बीमारी का प्रकोप मौसम में हो रहे परिवर्तन की वजह से आर्द्रता बढ़ने से बढ़ रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से तनाछेदक कीट, पेनीकल माइट, शीथरॉट, शीथ ब्लाइट प्रमुख है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र बलौदा बाज़ार तथा आशुतोष श्रीवास्तव उप संचालक कृषि सारंगढ़ बिलाईगढ़ द्वारा कीट बीमारी नियंत्रण के लिए कृषकों को संयुक्त रूप से सलाह एवं मार्गदर्शन जारी किया गया। तनाछेदक कीट की इल्ली तने की गांठ में छेद करके तने के अंदर घुसकर मुख्य तने को अंदर ही अंदर खाती है, जिस कारण बाहर से सूखा पौधा या सूखा बाली रहित पौधा दिखाई देता है। इसके नियंत्रण के लिए कर्टाप हाइड्राक्लोराइड 4 जी 8 कि.ग्रा. की दर से खेत में भुरकाव करें या ट्राइजोफ़ास 40 ई०सी० 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से या बुफ़रोफेजीन 10 ई०सी० 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। पेनीकल माइट से पत्ती के आवरण के पीछे चाकलेटी भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। बाली वाले स्थान पर फंगस लग जाता है जिससे बालियाँ बदरंग हो जाता है। इसके नियंत्रण के लिए डाइकोफाल 18.5 ई०सी० 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से या इसपिरोमेफिसेन 22.9 एस०सी० 2.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। शीथरॉट में गबोट के निचले हिस्से पर हल्के भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जो कि एक रिंग से घिरा रहता है, जिसके कारण बाली का कुछ भाग ही बाहर आ पाता है इसमे दाने नही भरते एवं बदरा बढ़ जाता है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बेण्डाजिम 12 प्रतिशत + मेंकोजेब 63 प्रतिशत 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। शीथ ब्लाइट में पौधे के ऊपर शीथ में पानी की सतह से आरंभ होकर ऊपर की ओर पौधा झुलसता है। रोग उग्र अवस्था में तने के ऊपर फैल जाता है, जिससे दाना भर नही पाता इसके नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से या थायोक्लुजामाइड 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। रोग या बीमारी पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होने पर कीटनाशक , फफूंदनाशक का छिड़काव या भुरकाव को 10 दिन के अंतराल से पुनः करें जिससे कीट बीमारी का पूर्ण नियंत्रण किया जा सके।
0 Response to "धान के फसल में रोग से बचाव के लिए कृषि सलाह"
Post a Comment