मानसून की दस्तक अभी भी देरी, खुर्रा बुआई कर चुके किसान, हैरान-परेशान नजर आ रहे
दानसरा न्यूज।आमतौर पर विगत वर्षों में देखा जाता था कि मानसून 10 जून के आसपास छत्तीसगढ़ के इलाकों में प्रवेश कर लेता था पर इस वर्ष 19 जून भी गुजर गया पर मानसून का कही अता-पता नही चल रहा। किसान रोज आसमान की ओर निहार रहे कि कब बारिश हो और खेती किसानी में खुशहाली लौटे। समय से लगभग 10 दिन लेट होने के बाद भी किसान एक अच्छी बारिश के इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्र के किसान बताते हैं कि जिन किसानों ने अपने खेतों मे खुर्रा बुआई कर ली है।वे हैरान परेशान नजर आ रहे हैं। और अभी तक अच्छी बारिश नहीं मिली है जिसके कारण अब खेत में बुआई हो चुके खुर्रा फसल बीज उमस के कारण सूखने का खतरा मंडराने लगा है। वही डर है कि कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो जमीनी चींटियां और मिट्टी के कीड़े धान के बीज को खाने लगेंगे। गर्मी इन दिनों अपने चरम पर है जिसने पिछले वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ रखा है।वर्तमान समय में कई पथरीले इलाकों में 45 से 46 डिग्री तक मापी गई है। सुबह के 9 बजे के बाद लोगों का हाल बेहाल है।बादलों में किसी प्रकार के अच्छी बारिश की आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं।मानसून के लेट होने का प्रभाव खेती किसानी पर भी पड़ रहा है। किसान सरोज पटेल चर्चा के दौरान बताते हैं कि इस वर्ष मानसून के देर होने से कृषि क्षेत्र खासा प्रभावित हुआ है।चाहे वह धान कि खेती हो चाहे वह सब्जी कि खेती हो। ज्यादातर ग्रामीण किसान बारिश के पानी से ही खेती के लिए आश्रित हैं और इस वर्ष मानसून के देरी के कारण से वर्षा के आसार फिलहाल कहीं से भी नजर नहीं आ रहे हैं।जिसके कारण से सब्जी खेती हो या धान के फसल हो देरी से शुरू होंगे। जिन किसानों ने जल्दी बुआई कर ली है या सब्जी की खेती जल्दी शुरू कर दी है वो अब पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।पिछले वर्ष इस समय तक धान की बुआई खत्म हो चुकी थी।सब्जी में मिर्च,गोभी, भिन्डी,बैंगन जैसे सब्जी फसल लग कर तैयार हो चुके थे।पर जल संकट के कारण इस वर्ष सब्जी के खेती के लिए मेड़ पूरी तरह किसानों द्वारा तैयार नहीं हुआ है।अभी मेड़ बनाए जाने की प्रक्रिया किसानों द्वारा चल रही है।ऐसे में फसल के तैयार होने में भी देर होगी। फसल के अंतिम दिनों में पानी को लेकर समस्या हुई तो किसानों के एक बड़ी परेशानी होगी।
मानसून की जितनी देरी जलसंकट उतना बड़ा
युवा किसान दीपक पटेल ने चर्चा पर बताया कि वाटर लेवल क्षेत्र में आज से 2 माह पहले ही नीचे जा गिरा है ऐसे में अगर मानसून की देरी होगी और जल्द से जल्द एक अच्छी बारिश नहीं होगी तो वाटरलेवल उपर आने के आसार नहीं हैं।जलसंकट बढ़ता जायेगा।और इससे निजात पाना मुमकिन नहीं है।कुछ गांव वर्तमान में ऐसे हैं जहां पानी पीने को उपलब्ध नहीं ऐसे में खेती का आंकलन करना भी अभी संभव नहीं हैं।
मिर्च खेती की तैयारी में जुटे किसान
किसान अनंतराम पटेल ने चर्चा पर बताया कि सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के सारंगढ़ क्षेत्र में कुछ गांव के किसान धान की खेती के साथ हरी मिर्च की खेती भी अच्छे से करते हैं। पानी की समस्या के कारण अभी मिर्च के जो प्लांटेशन लगे हुए हैं उनको किसी तरह से बचाकर संवारने में लगे हुए हैं। ताकि एक अच्छी बारिश के बाद जल्दी से मिर्च को खेत में रोपाई कर सकें और जिससे इसकी खेती जल्दी तैयार हो सके। वर्तमान समय में तो फिलहाल मेड़लाइन बनाने में किसान जुटे हुए हैं।
फसल में देरी होने से लागत ज्यादा
मानिकपुर के किसान खीरसागर पटेल ने चर्चा के दौरान बताया कि पिछले कई वर्षों के अपेक्षा इस वर्ष मानसून लगभग 15 दिन लेट नजर आ है। हालात जैसे भी हों किसानो को खेती तो करना ही है। लेकिन इसमें किसान को खाद और दवाइयों का छिड़काव सामान्य समय से ज्यादा लागत लगेगा।क्योंकि फसल भी देरी से पकेगा जिसके कारण से अंतिम समय में पानी की आवश्यकता भी फसलों को ज्यादा लागत के रूप में लगेगी।सामान्य समय से अलग समय में अगर फसल तैयार होगा तो फसल पर इसका असर रहेगा और उपज कम होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
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